थारो राम हृदय माहीं, बाहर क्यों भटके। Desi bhajan tharo ram। hridya mahin, bahar kyu bhatke

थारो राम हृदय माहीं, बाहर क्यों भटके। Desi bhajan tharo ram। hridya mahin, bahar kyu bhatke । अनिल नागौरी

ज्यों तिल में तेल है,
और ज्योँ चकमक में आग,
तेरा साईं तुझ मायने,
भाई जाग सके तो जाग।
मनवा पतडो दूर है,
आडी पड़ी है रात,
क्या जाणे क्या होवसी,
भाई उगतड़े परभात।
क्यों भटके, बाहर क्यों भटकें,
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
थारों राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटके,
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटके।

ऐसा ऐसा हीरला घट माह कहिए जी,
जौहरी बिना हीरा कुण परखे,
जौहरी बिना हीरा कुण परखे,
थारों राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटकें,
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय माहीं, बाहर क्यों भटके।
क्यों  भटके, बाहर क्यों भटके
क्यों  भटके, बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय मांही बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय मांही बाहर क्यों भटके

ऐसी ऐसी आग पत्थर माहि कहीजे जी,
बिना घस्ये आग कैसे निकले,
थारों राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटकें,
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय माहीं, बाहर क्यों भटके।

ऐसा ऐसा घिरत दूध माहीं कहीजै,
बिना बिलोया माखण कैसे निकले,
थारों राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटकें,
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय माहीं, बाहर क्यों भटके।

ऐसा ऐसा किवाड़ हिवड़े पर जड़िया,
गुरु बिना ताला कुण खोले,
थारों राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटकें,
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय माहीं, बाहर क्यों भटके।
थारो राम हृदय मांही बाहर क्यों भटके

कहत कबीरा सुणो भाई साधो,
कहत कबीरा सुणो भाई साधों,
राम मिले थाणे कुण अटके,
थारों राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटकें,
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके

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