जियो दो दिन जियो जियो वर्ष पचासा साल
कहे कबीर सुनो भाई तोये मारन केरी आसा
चूं चूं माटी महल बनाया
मूरख कहे घर मेरा
ना घर मेरा ना घर तेरा
है जगत में फेरा
खाक में खाप जाना रे बंदा
माटी से मिल जाना
नहीं करो अभिमान
इक दिन पावन सा उड़ जाना
जादा पहरो झीना पहरो
पेहरो मलमल साचा
रूपया पावल मशरू पेहरो
तोये मारन केरी आसा
सोना पहरो रूपा पहरो
पेहरो हीरला सच्चा
वार वार मोतिदा पहरो
तोये मारन केरी आसा
माता रोये जन्म जनम
और बहन रोये बारह मासा
घर की नारी तेर दिन रोये
करे बीजा नी आसा
इक दिन जियो दो दिन जियो
जियो वरस पचासा
कहत कबीरा सुनो भाई साधो
तोये मारन केरी आसा