नमस्कार दोस्तों! आपका स्वागत है हमारे नए ब्लॉग पोस्ट पर, जहाँ हम आपको एक रोचक और महत्वपूर्ण विषय पर लेकर चर्चा करेंगे – ‘वीर्य क्या है और क्यों इसकी जरूरत है?’। वीर्य, जो हमारे संजीवनी शक्ति का प्रतीक है, और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से क्यों है यह आप इस blog में जानेंगे की वीर्य क्या है। “वीर्य यानी sperm ही पूरे शरीर का  सबसे महंगा चीज है। “

वीर्य क्या है , sperm

वीर्य sperm ही पूरे शरीर का  सबसे महंगा चीज है।

वीर्य का धारण करना ही ब्रह्मचर्य है।

यहा हम जानैगे की वीर्य क्या है। और कैसे बनता है

हम जो भोजन करते हैं अलग  अलग अवस्थाओं होते है अन्तिम वीर्य sperm बनता है .

वीर्य यानि शौर्य, तेज, उत्साह और जोश, साहस, । वीर्य ही इन सब गुणों का। उत्पादक है।  जिसने वीर्य को अपने अंदर धारण कर दिया है तो उसने उसके लिए संसार का कोई भी काम कठिन नही है। । रोग तो उसके पास आते ही नही है।

लेकिन आख़िर वीर्य क्या है? What is sperm meaning in hindi ?

जो भोजन हम खाते हैं तो वह पेट में जाकर पचता हैं  . भोजन (food) का रस (plasma),  रस से रक्त(blood),  रक्त से मास(muscles),  मांस से मेद(fat), मेद से अस्थि(bone), अस्थि से मज्जा,  और मज्ज़ा से शुक्र sperm,बनता है। इसे इन सारी प्रक्रिया process of food के 5 दिन हर प्रक्रिया को लगते हैं ओर अन्तिम प्रक्रिया वीर्य यानि सप्त धातु जो लास्ट process है जिसे sperm यानी वीर्य बनता है। 5 days के हिसाब से 30 से 40 दिन लगते हैं वीर्य को बनने मैं , जो भी भोजन आज आप करोगे तो उसका परिणाम आपको 40 दिन बाद मिलेगा।

वीर्य का पाचन नही होता है यह “ओजस ” का रूप लेता है फिर यही ojas ओजस पूरे शरीर मैं चमकता है। ये वीर्य पूरे शरीर मैं रहता है।

वीर्य का एक बूंद drop का भी निकालना मानो पूरे शरीर को निम्बू की तरह मिचोड़ना डालना।  इसे शरीर को भारी नुकसान झेलना पड़ता है। इसे आपका चेहरा तेजहीन बन जाता है।।वीर्य पूरे शरीर का सार है।

वीर्य का बर्बाद होना यानि खुद को बर्बाद करना। इसे आप निर्बल, दुखी, निस्तेज, अल्पायु, हर समय परेशान, डिप्रेशन depression, anxiety, miagrain problem, life मै कुछ भी ना करने का मन, उत्साह ना रहना, आनंद, चमक सब आपके जीवन मै कमियां आएगी। आपके जीवन का सर्वनाश हो जाता है।

अंतिम प्रक्रिया शुक्र यानि वीर्य है । यह वो बीज है। ये पूरा शरीर का सार है। रस से शुक्र तक सात धातु के तेज को ओज (ojas) कहते हैं।

वीर्य के नाश हो जाने से व्यक्ती मैं ओज यानि तेज  नाश हो जातें है ।

सिर्फ वीर्य से ही पूरे शरीर की रक्षा होती है। इसका नाश यानि पूरे शरीर का विनाश, शरीर का नाश यानि पूरे जिवन का नाश।

आप खुद देखना जिस व्यक्ती ने वीर्य नाश किया है धीरे धीरे उसके जीवन में उत्साह , चेहरा का तेज, शरीर की कमजोरी,  सब आपको उसके शरीर को देखते ही अंदाज लगा सकते है कि  उसका जीवन कैसे ऊर्जाहीन है।

  • वीर्य सूक्ष्म रूप में शरीर के सभी part में पाया जाता है। जिस तरह  दुग्ध में मक्खन सर्वत्र व्याप्त होता है, उसी प्रकार वीर्य समग्र शरीर में व्याप्त रहता है। जिस प्रकार मक्खन निकाल लेने पर छाछ पतली रह जाती है उसी प्रकार वीर्य का अपव्यय होने से वह पतला पड़ जाता है। जितना ही अधिक वीर्य का नाश होता है उतनी ही अधिक दुर्बलता आती है । योगशास्त्र में कहा है: “मरणं बिन्दुपतनात् जीवनं बिन्दुरक्षणात् । ” – वीर्य का नाश ही मृत्यु है और वीर्य की रक्षा ही जीवन है। यह मनुष्य का सबसे कीमती खजाना है । यह मुखमण्डल को ब्रह्म तेज तथा बुद्धि को बल प्रदान करती है।

आपको पता भी है कितना भोजन से कितना वीर्य बनता है।

वैज्ञानिक कहते है कि आप जो भोजन 32 Kg खाना खाते हैं  तो उसका 8oogM ही खून बनता है , और उसे ही 20 GM ही वीर्य बनता है। इसलिए वीर्य अमृत के सम्मान मानना चाहिए ।

100 बूंद खून = 1 बूंद वीर्य  यानी 100 बूंद खुन  से 1 बूंद वीर्य बनता है,

DISCLAIMER

हमारी संस्कृति में ब्रह्मचर्य की महिमा से भरा पड़ा है। अगर आपको शरीर को healthy रखना है या अपने आपको वीर्य नाश के होने से बचना होगा. वीर्य रक्षा करना बहुत ज़रूरी है . यही बात है की हमारे पूर्वज पहले बहुत साल जीते थे 100 से 200 साल तक जीते थे किसी की भी अकाल मृत्यु नहीं आतीं थीं . कोई अकाल मृत्यु के बारे मैं जानता नहीं था .। यह शरीर का बल है। अपने जीवन को बदलो ।अपने आपको राष्ट्र को सम्प्रति करो. यह ब्लॉग ‘वीर्य क्या है?’ विषय पर सामग्री एवं जानकारी प्रदान करने का उद्देश्य रखता है और इसे केवल शिक्षा और सामान्य जानकारी के लिए ही बनाया गया है।


1 Brahmacharya Kya Hai?

Brahmacharya ek aadhyatmik rasta hai jisme vyakti apne jeevan mein celibacy yaani ki brahmacharya ka palan karta hai. Iska mool uddeshya atma-vikas aur adhyatmik unnati hai.

2 Kya Brahmacharya Ke Bina Jivan Asambhav Hai?

.ब्रह्मचर्य एक मार्ग है, जिसे व्यक्ति अपने जीवन में चुन सकता है। बहुत से लोग सामान्य जीवन जीत रहे हैं बिना ब्रह्मचर्य के, लेकिन इसका पालन करके व्यक्ति अपने आध्यात्मिक लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद प्राप्त कर सकता है।

3 क्या वीर्य का उपयोग हमेशा हानि कारक है?

नहीं, वीर्य का सही उपयोग भी जरूरी है। समय पर वीर्य का नशा कर देना या उसका असत्यापन कर देना भी हानिकारक हो सकता है। इसलिए, वीर्य का सही उपयोग करना और उसकी रक्षा करना दोनों का ही महत्व है।

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