जीवन से अब हार गया हु प्रभु बस अब कृपा कर दो हरि 🥺 | नाम जप  | शरणागत हो जाओ

“अपबल तपबल और बाहुबल और चौथे बल है दाम,

सुर किशोर कृपा से सब बल हारे को हरे राम”



• मनुष्य के पास चार तरह के बल होते हैं:

° मनुष्य के पास चार तरह के बल होते है

1 . अपबल  ( जन्म से मिलने वाला बल)

2. तपबल (साधना और तपस्या से प्राप्त शक्ति)

3. बाहुबल (शारीरिक शक्ति)

4. दामबल (धन का बल)




लेकिन इन सब बलों से भी जीव भगवान को नही पा सकता। केवल जब श्रीराम या श्रीकृष्ण की कृपा होती है, तभी इन सभी बलों का महत्व समाप्त हो जाता है और जीव को मुक्ति भक्ति का मार्ग मिलता है।

हे हरि हार गया मै बहुत  उपाय करके देख लिया  पर  मैं आपके  योग्य कभी नहीं बन पाऊंगा ये विकार मुझे बार बार नष्ट कर देते है  जो नहीं करना चाहिए वह कर रहा हु और करना चाहिए वह नहीं कर पा रहा हूं। “

“जितना नाम जप करोगे वह  अनर्थ की निवृति करके आपमें आध्यात्मिक शक्ति भरेगा अगर  नाम का बल संतों के पास नहीं होता  तो वो निर्विकार नहीं होते  ।

भगवान के प्रति शरणागत हो जाओ और खूब नाम जप करो

शरणागत (पूर्ण समर्पण)

  भगवान के सामने अपना अहंकार, अपनी इच्छाएँ, अपनी बुद्धि और अपने कर्म सब समर्पित कर देना।

“हे प्रभु! अब आप ही मेरे रक्षक हैं, मैं आपका हूँ और आप ही सब कुछ हैं।”

शरणागत का भाव आने पर मन से डर, चिंता, और असुरक्षा मिट जाती है क्योंकि भक्त को लगता है कि अब उसके जीवन की डोर भगवान के हाथों में है।

गीता में अर्जुन ने श्रीकृष्ण से कहा –

“शिष्यः तेऽहं शाधि मां त्वां प्रपन्नम्” – “मैं आपका शिष्य हूँ, आपकी शरण में हूँ।” तभी ज्ञान और मार्गदर्शन मिला।

नाम जप



भगवान का नाम बार-बार जपना – राम राम, हरे कृष्ण, ओम नमः शिवाय।

नाम जप से मन शुद्ध होता है, चित्त स्थिर होता है और भगवान का स्मरण बना रहता है।

शास्त्र कहते हैं – “कलौ नाम संकीर्तनं एव गत्यन्तरं नास्ति” –

कलियुग में केवल नाम जप ही मुक्ति का सबसे सरल साधन है।

नाम में वही शक्ति है जो स्वयं भगवान में है।




शरणागत = मन और आत्मा का पूर्ण समर्पण।

नाम जप = उस समर्पण को जीवित और सक्रिय रखना।

अगर कोई केवल नाम जप करता है लेकिन समर्पण नहीं करता, तो मन बार-बार भटकता है।

और अगर कोई केवल समर्पण का दावा करता है लेकिन नाम जप नहीं करता, तो वह समर्पण टिक नहीं पाता।


👉 इसलिए संत कहते हैं – “शरणागति और नाम जप – ये दोनों साथ हों तो भक्ति पूर्ण होती है।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • Facebook
  • X (Twitter)
  • LinkedIn
  • More Networks
Copy link