दोहा – जोगी जंगम से बड़ा,
संन्यासी दरवेश,
छटा दर्शन ब्रह्म का,
इनमे मीन न मेष ।
कोई बताओ जोगी आवता, ज्याने लाख बधाई,
जोगी ढूंढत म्हाने जुग भया,
कोई देख्या मेरा भाई,
जोगी हमारा मीत हैं।।
हाथ छड़ी हीरा जड़ी,
सिर पर टोप हजारी,
सेंस किरण ज्यारी सेवा करे,
ऐसा जोगी तपधारी,
कोई बताओ जोगी आवता ।।
इण जोगी री झोलियाँ,
हीरा माणक भरिया,
मांगे जको ने जोगी देत है,
ऐसा दिल रा दरिया,
कोई बताओ जोगी आवता ।।
इण जोगी री रावटी,
पानो फूलों सू छाई,
पानो फूलों में जोगी रम रिया,
मेहरम विरला पाई,
कोई बताओ जोगी आवता ।।
धरती रा तकिया किया,
तम्बू किया असमाना,
खाकी चोला पहरिया,
सत लोक समाना,
कोई बताओ जोगी आवता ।।
बायर भीतर एक हैं,
जोगी घट रे माई,
कहे कबीर सा धर्मीदास ने,
घट खोजो मेरा भाई,
कोई बताओ जोगी आवता ।।
कोई बताओं जोगी आवता,
ज्याने लाख बधाई,
जोगी ढूंढत म्हाने जुग भया,
कोई देख्या मेरा भाई,
जोगी हमारा मीत हैं।।
