छत्रपति शिवाजी महाराज से सीखने वाली 6 बड़ी बातें
भारतीय इतिहास में ऐसे कई महान राजा हुए हैं, जिनके जीवन को पढ़कर हम वर्तमान में कई सीख ले सकते हैं। उनमें से एक महान शासक थे छत्रपति शिवाजी महाराज। शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी किले में हुआ था। शिवाजी को 12 साल की उम्र में ही अपने पिता से पूना की जागीर प्राप्त हो चुकी थी। अपने कुशल नेतृत्व के कारण ही शिवाजी महाराज ने एक जागीरदार से एक स्वतंत्र शासक तक की यात्रा पूरी की।
आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के अवसर पर जानिये उनके ऐसे ही कुछ गुणों के बारे में,खुदसे जितने वालो को मेरा नमस्कार।

1 clarity and character

जब छत्रपति शिवाजी महाराज 15 साल के थे। तब मावल के एक मुखिया ने एक महिला के साथ अभद्र व्यवहार किया। जब मुखिया को लाल किला बुलाया तो उसे यकीन नहीं हुआ की इतनी सी बात के लिए सुनवाई हो रही है उसने सबके सामने छत्रपति शिवाजी महाराज को गाली देना शुरू कर दिया की सायद ये छोटा बालक सहम जाए लेकीन शिवाजी के चेहरे पर कोई शिकन दिखाई नही दी। शायद डर जाए लेकीन शिवाजी महाराज ने महज 15 साल की आयु मैं ही अपना फैसला सुनाया की ये साफ है की मुखिया ने पद का गलत फायदा उठाते हुए एक महिला के साथ अभद्र की है दंडस्वरूप इसके हाथ पैर काट दिया जाए। शिवाजी महाराज ने इस बात को इतनी स्थिरता और गंभीरता से कही की मुखिया तो सुनते ही बेहाल हो गया और वहां सब मौजूद दरबार में सब हैरान हो गया।
क्योंकि उस वक्त सारे सरदारों और गावो के मुखिया को एकता और पटा कर रखते थे और किसी कभी राजनीतिक को ऐसा करने मै कही बार ऐसा सोचना पड़ता था ।कहीं एकता भंग ना हो । हमारे ही हमारे विरूद्ध ना हो जाए।।
लेकीन शिवाजी महाराज एक चतुर थे। एक कूटनीति और फायदे नुकसान सब समझते थे लेकिन वे कठिन निर्णय लेने में हिचके नही क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज को अपने सिद्धांतों पर clarity थी समय और परिस्थिति को देख कर उनका judgement और न्याय कभी नहीं बदला।
इस एक न्याय ने मावल वाशियो का दिल जीत लिया। सबको संदेश पहुंच गया की छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्य मैं किसी कमजोर पर अन्याय नहीं हो सकता।
दोस्तों clarity से character बनता है । दोस्तों इतिहास मैं जिनका नाम स्वर्ण अक्षरों मै लिखा जाता है जो लोग सच में महानता हासिल करते हैं इनके दिमाग में पहले से ही स्पष्टता clarity होती है।
जीवन में सबसे बड़ा लक्ष्य क्या है?
कौन सा कार्य कराने योग्य है?
इंसान का चरित्र कैसा होना चाहिए? जिस कारण इनकी बुद्धि संकोच रहित होती है।
छत्रपति शिवाजी महाराज का लक्ष्य साफ था प्रजा की सेवा और स्वराज का निर्माण। परिणाम स्वरूप छत्रपति शिवाजी महाराज का ऐसा समय जहां लगातार युद्ध में भी उनके राज्य और लोगो ने तरक्की की। जो राजा अपना प्रजा को अपने से ऊपर रखे और केवल उसके हित के लिए काम करें तो ऐसी प्रजा भी राजा को भूलती नही है। आज भी हमारे प्रत्येक देशवासी के हृदय में छत्रपति शिवाजी महाराज बस्ते है और सदेव अमर है।
2 determination and passion

Determination और passion शिवाजी महाराज कहते हैं कि हार और जीत का हिसाब मत लगाओ लेकिन साहस और दृढ़ संकल्प का ध्यान रखो।
एक बार मराठा योद्धा फिरंगोजी नरसला 230 सैनिकों के दम पर शाइस्ता खान ने 20000 सैनिकों को रोक रखें एक भी सैन्य किले के अंदर नहीं घुस पाया 56 दिन बाद फिर फिरंगोजी को किला खाली करवाना पड़ा उन्होंने सोचा मैं हार कर कैसे राजे को चेहरा दिखाऊंगा । लेकिन शिवाजी महाराज ने मिलते ही फिर फिरंगोजी नृशाला को गले लगा लिया क्योंकि शिवाजी महाराज के लिए किले से ज्यादा इंसान का दृढ़ और इच्छा शक्ति है मायने रखती है।
शिवाजी महाराज कहते हैं कि बड़े से बड़ी दुश्मन को दृढ़ निश्चय विश्वास और जुनून से हराया जा सकता है ।
जिन लोगों ने उत्साह भरा है उनके लिए कोई काम कठिन नहीं है शिवाजी महाराज की पूरी जोश से लड़ती है और तीन गुना बड़े लक्ष्य को हरा देती है इस कारण Portuguese शिवाजी महाराज से डरा करती है उन्हें attila ऑफ हिंदुस्तान कहते ।
औरंगजेब ने कहा था कि मैं 19 साल पूरा जोर शिवाजी महाराज को रोकने में लगा दिया लेकिन उनका स्वराज बढ़ता ही रहा ।
3 Leader यानी सबसे मेहनती

जिस उम्र मैं लोग अय्याशी और खेल के डूबे रहते हैं तब 16 साल की उम्र में शिवाजी महाराज डेक्कन deccan के पहाड़ों और आसपास के इलाकों में घूमना शुरू किया कभी-कभी हफ्तों के लिए सर्वे करने निकल जाते हैं जहां वे दिन रात लोगो से मिलते लोगो से गुप्त रास्ते समझते और स्थानीय सरदारों और सैनिकों को अपना दोस्त बनते।
अगर आप अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं कुछ भी बड़ा हासिल करना चाहते हो तो सबसे पहले मेहनत करने के लिए तैयार रहूं ।लीडर एक नया काम शुरू करता है हर प्रॉब्लम को सॉल्व करने का रास्ता ढूंढता है हर गलती की जिम्मेदारी लेता है इसलिए वह लीडर होता है ।
शिवाजी महाराज से अगली बात हम सबको सीखनी चाहिए की कमजोरी केवल एक मानसिकता है
4 कमजोरी एक मानसिकता है

शिवाजी महाराज 14 साल की उम्र में मावल और आसपास के क्षेत्र में घूमा करते थे स्थानीय लोगों की मेहनत कौशल और साहस देकर खुद से पूछा करते कि हम सब इतने काबिल हैं लेकिन फिर भी किसी की गुलामी में जी रहे ।क्या हम लोग खुद का अपना ख्याल नहीं रख सकते 14 की उम्र में शिवाजी महाराज को समझ आ गया था की कमजोरी एक मानसिकता है और गुलामी एक सोच है अगर आपको यकीन दिला जाए कि आप कमजोर हैं तो आप कभी भी अपनी ताकत का इस्तेमाल करोगे ही नहीं । शिवाजी महाराज कहते हैं कि आत्मविश्वास और साहस इंसान के लिए जरूरी है हमको कभी भी मुश्किल के आगे घुटने नहीं देखना चाहिए। हमेशा सर उच्च रखना चाहिए हम हमेशा दूसरों के अधीन रहेंगे हम सबके उनके अंदर स्वराज की जड़े बढ़ाएंगे।
दोस्तों हम सबको समझना चाहिए कि स्वराज का असली मतलब मीनिंग ऑफ स्वराज
5 स्वराज का मतलब
शिवाजी महाराज ने कहा था कि साहस हथियार में नहीं बल्कि इंसान के दिल में होता है । साहस और इच्छा शक्ति के साथ ही स्वराज की स्थापना होती है । स्वराज का मतलब है स्वयं पर राज ।अपने अंदर की कमियों को मिटाना जब तक हम अपने ऊपर राज नहीं करेंगे तब तक हम बाहर संघर्ष क्या ही करेंगे। शिवाजी महाराज दुश्मन को जड़ से मिटाने में यकीन करते हैं उन्होंने कभी भी दुश्मन सैनिकों को दोबारा एकजुट होने का मौका ही नहीं दिया शिवाजी महाराज स्थिति के हिसाब से स्ट्रेटजी रणनीति बदलते और बनाते हैं ।और कभी भी एक गलती नहीं दोहराते इस तरह हम भी अपने अंदर कोई भी कमी अवशेष भी नहीं छोड़ना चाहिए
6 हमेशा प्रयास करते रहो

शिवाजी महाराज कहते हैं कि जो इंसान अती संघर्ष में भी प्रयास करते रहता है उसके लिए समय भी अपनी चाल बदल देता है।
औरंगजेब से छूटने के बाद 4 साल के अंदर शिवाजी महाराज अपना खोया हुआ राज्य वापस जीत लिया। शिवाजी महाराज ने कभी भी अपना समय अफसोस में नहीं गवाया।
हमेशा ऊर्जा और उत्साह से भरे रहते नहीं तो अपने जीवन काल में 370 किले के लिए जितना असंभव काम है ।
शिवाजी महाराज एक ऐसे शूरवीर थे जिनका नाम हिंदी इतिहास में सदैव अजर-अमर रहेगा। उनके जीवन से हमें कई मूल्यवान सिख मिलते हैं जो हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। इन सिखों को समझना हमें न केवल उनके समय की महत्वाकांक्षा को समझने में मदद करता है, बल्कि आज के समय में भी हमें उनके मार्गदर्शन के लिए प्रेरित करता है।इन सीखों को ध्यान में रखते हुए, हम सभी को अपने जीवन में अनुशासन, साहस, नेतृत्व, और समरसता के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का संकल्प लेना चाहिए। शिवाजी महाराज की इन सीखों को अपनाकर हम सभी एक बेहतर और सशक्त भविष्य की ओर अग्रसर हो सकते हैं।