यम योग और यम योग के 5 अंग

यम योग क्या है?

यम योग आठ आध्यात्मिक अँगों में से एक है, जो पातंजलि के योग सूत्र में उल्लिखित है। यह अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के पाँच नियमों को समाहित करता है। इन नियमों का पालन करके व्यक्ति अपने आत्मा की उन्नति के प्रति समर्पित होता है।

अहिंसासत्यास्तेयब्रह्मचर्यापरिग्रहाः यमाः।। (योगसूत्र- 2.30)

यम योग पतंजलि योग सूत्र में उपलब्ध आठ अंगों में से पहला अंग है। यम योग मानव जीवन में आचार्य और नैतिकता को स्थापित करने के लिए है।

यम योग के कितने अंग हैं?

यम योग के पांच अंग हैं: अहिंसा (अहिंसा), सत्य (सत्य), अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य (ब्रह्मचर्य), और अपरिग्रह (संयम करना)। इन योग सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए, व्यक्ति को यम के नियमों का पालन करना चाहिए।

1 अहिंसा   NON VIOLANCE

अहिंसा non violance

शरीर वाणी और मन से सब काल मैं समस्त प्राणियों के साथ वैर भाव द्वेष छोड़कर प्रेमपूर्वक व्यावहार करना ही अहिंसा है

अहिंसा का अर्थ है हिंसा से परहित करना। यम योग में, व्यक्ति को अन्यों के प्रति शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से किसी भी प्रकार की हिंसा से बचना चाहिए। इससे मानवीय संबंधों में सहानुभूति, समरसता और शांति का संरक्षण होता है।अहिंसा के पालन में, व्यक्ति को अपने विचारों, वचनों और क्रियाओं को शांति, समरसता और1 सहानुभूति के साथ रखने का प्रयास करना चाहिए।

2 सत्य TRUTH

सत्य TRUTH

जैसा देखा हुआ,  सुना हुआ, पढा हुआ, अनुमान किया हुआ ज्ञान मन मैं है, वैसा ही वाणी से बोलना और शरीर से आचरण मैं लाना ही सत्य है. ये एक ऐसी क्वालिटी गुण है जो आपको सबसे अलग बनाती हैं,  इसका तेज इतना है कि आप जो भी बोलेगी या सोचेंगे वो real world मैं हो जाएगा. ऐसा सत्य प्रिय और हितकारी भी होना चाहिए.  अप्रिय और अहित कर सत्य हो तो भी नहीं बोलना चाहिए.

सत्य का पालन करना योगी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। योग में, व्यक्ति को अपने वचनों और क्रियाओं में सत्यता और ईमानदारी का पालन करना चाहिए।सत्य का पालन करने के लिए, व्यक्ति को हमेशा सत्य कहने और करने का प्रयास करना चाहिए, भले ही यह कठिन हो।

3 अस्तेय

अस्तेय का मतलब है चोरी न करना। योग में, व्यक्ति को दूसरों की संपत्ति, विचारों या विचारों का अपहरण नहीं करना चाहिएअस्तेय के पालन में, व्यक्ति को दूसरों की संपत्ति या विचारों का अपहरण नहीं करना चाहिए। छल से,  धोखे से,  झूठ बोलकर,  बेईमानी से किसी भी प्रकार दूसरे के स्वत्व ownership का अपहरण करना चोरी है. जिस पर हमारा अधिकार नहीं उसे लेना भी चोरी है.

4 ब्रह्मचर्य CELIBACY

Brahmacharya ब्रह्मचर्य

योग में, व्यक्ति को अपने विचारों, वचनों, और क्रियाओं को शुद्ध और नियंत्रित रखने की आवश्यकता होती है। और अपनी वीर्य शक्ति की रक्षा ही ब्रह्मचर्य है. वीर्य नाश से हर साधक को बचना चाहिए. योग साधना मैं इसका विशेष मह्त्व है ये पूरे योग का सार है. यह एक ऊर्जा है.

5 अपरिग्रह

हानिकारक और अनावश्यक चीजों /विचारो का संग्रह न करना ही अपरिग्रह. एक योगी को सात्त्विक जीवन जीना चाहिए. जरूरत से अधिक धन और चीजों का परिग्रह करने से मन कई तरह उलझन मैं पढ़ जाता है. जिससे मन स्थिर नहीं रहता है, और एक योगी बना और बिना मन स्थिर तो यह सम्भव नहीं है.

अपरिग्रह का मतलब है लालच से बचना। योग में, व्यक्ति को आत्मसंयम, संतोष और सरलता का पालन करना चाहिए। उसे बाहरी वस्त्रों, भोजन, धन और व्यक्तिगत संपत्ति के प्रति अनावश्यक आसक्ति से मुक्त होना अपरिग्रह के पालन में, व्यक्ति को सरलता, आत्मसंयम और संतोष के साथ रहने का प्रयास करना चाहिए

  1. अहिंसा (अत्याचार से बचना)
  2. सत्य (सच्चाई का पालन)
  3. अस्तेय (चोरी न करना)
  4. ब्रह्मचर्य (संयमित जीवन जीना)
  5. अपरिग्रह (अधिकार की अभिलाषा से बचना

अहिंसा पालन करने से सब प्राणीयों से मित्रता की, सत्य बोलने से अमोघ वाणी की, अस्तेय से अनेक प्रकार के इच्छित पदार्थों की पूर्ति की व ब्रह्मचर्य पालन करने से मानसिक शक्ति की और अपरिग्रह पालन करने से अध्यात्म धारा की प्राप्ति होती है।

यम योग ध्यान, धारणा और समाधि के लिए मार्ग की तैयारी करता है। यह व्यक्ति को अध्यात्मिक उन्नति, मानवीय संबंधों में समरसता, और आत्मा के अंदर की गहराई का अनुभव कराता है। यम योग के पालन से व्यक्ति अपने जीवन को एक सकारात्मक और समृद्धिशील दिशा में बदल सकता है। इसलिए, हमें यम योग के लाभों को समझने और अपने जीवन में उन्हें शामिल करने का प्रयास करना चाहिए।

1. यम योग क्या है?

यम योग योग के प्राचीन अंगों में से एक है, जो समाजिक, नैतिक और धार्मिक नियमों का पालन करने की शिक्षा देता है। यह आत्मा के विकास और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।

2. यम योग के कौन-कौन से अंग हैं?

यम योग के पांच मुख्य अंग हैं: अहिंसा (असत्य), सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, और अपरिग्रह। ये अंग व्यक्ति को समाजिक और नैतिक नियमों का पालन करने की शिक्षा देते हैं।

3. यम योग का लाभ क्या है?

यम योग का अभ्यास करने से व्यक्ति में संयम, समाजिक जिम्मेदारी, और सामाजिक सद्भावना की भावना विकसित होती है। यह आत्मा के पथ पर आध्यात्मिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है।

4. यम योग कैसे अभ्यास किया जाता है?

यम योग का अभ्यास करने के लिए व्यक्ति को अपने जीवन में अहिंसा, सत्य, और अपरिग्रह जैसे मूल्यों को अपनाना होता है। इसके साथ ही ब्रह्मचर्य और अस्तेय के मानन का भी पालन किया जाता है।

5. यम योग के अभ्यास के लिए किसी विशेष संदर्भ में ध्यान देना चाहिए?

यम योग का अभ्यास करने के लिए संदर्भ का महत्व है। व्यक्ति को अपने परिवार, समाज, और समूचे विश्व में अहिंसा, सच्चाई और निरपेक्षता के मूल्यों को जीना चाहिए।
यम योग एक आदर्श जीवन की ओर अग्रसर होने का मार्ग प्रदान करता है जो व्यक्ति को समृद्ध, संतुलित और धार्मिक जीवन जीने में मदद करता है।

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