भगवान शिव को संहारकर्ता के रूप मे जाना जाता है, लेकिन वे केवल विनाश के देवता नहीं है बल्कि गहरे आध्यात्मिक मार्गदर्शक भी है।
उनके जीवन शैली उनके गुण और उनके प्रतीक हमें कहीं महत्वपूर्ण जीवन पथ सीखते हैं जानते हैं कि भगवान शिव की आध्यात्मिक यात्रा से जुड़ी 7 जीवन सीखें :
1 ध्यान और आत्म संयम का महत्व
भगवान शिव को ध्यान का देवता माना जाता है पर हिमालय पर ध्यान में लीन रहते हैं जिससे यह संदेश मिलता है की आंतरिक शांति और आत्म साक्षात्कार के लिए ध्यान बहुत आवश्यक है
भगवान शिव को आदियोगी और ध्यान के स्वामी माना जाता है उनका जीवन हमें सिखाता है की सच्ची शक्ति बाहरी नहीं बल्कि आंतरिक नियंत्रण self control से आती है।
ध्यान और आत्मा संयम के बिना कोई भी व्यक्ति ना तो मानसिक शांति पा सकता है और ना ही आध्यात्मिक उनती कर सकते हैं
अगर हम अपने मन को नियंत्रित करना सीख ले तो कोई भी बाहरी स्थिति हमें विचलित नहीं कर सकते
2 वैराग्य और अनासक्ति ( detachment)
शिवजी का जीवन पूरी तरह से वैराग्य का प्रतीक है यह सांसारिक सुख सुविधाओं से दूर रहते हैं जिसे यह सीख मिलते हैं की सच्ची सुखी खुशी भौतिक चीजों में नहीं बल्कि आत्मज्ञान में है ।
अगर हम अनावश्यक इच्छाओं को नियंत्रित कर ले तो हम अपने जीवन में सच्ची शांति और सफलता प्राप्त कर सकते हैं
हमें संसाधनों का उतना ही उपयोग करना चाहिए जितना उसका महत्व है हमें उससे ज्यादा उपयोग नहीं करना चाहिए हमेशा मानव कल्याण के लिए ही उपयोग करनाहै
3 विनम्रता और सरलता
भगवान शिव ने सादा जीवन अपनाया । बाघ की खाल पहनते है , जो दर्शाता है कि उन्होंने अपने अहंकार सांसारिक इच्छाओं पर विजय प्राप्त कर लिए है यह सिखाता है कि शक्ति भीतर से आती है, न कि बाहरी भौतिक संसाधनों से।
और गले में नाग धारण करते है जीवन में भय को खत्म कर दो क्योंकि जब डर खत्म होगा तब असली शक्ति जागृत होगी सर्प की कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक है
और शमशान में निवास करते हैं फिर भी वह सबसे शक्तिशाली देवता है
मृत्यु ही जीवन का अंतिम सत्य है। जब हमें यह समझ आ जाता है कि जीवन नश्वर है, तो हम अहंकार, लालच और भय से मुक्त हो जाते हैं।
श्मशान योग और ध्यान का सर्वोत्तम स्थान माना गया है, क्योंकि वहां कोई भौतिक मोह नहीं रहता और व्यक्ति को वास्तविकता का अहसास होता है।
मृत्यु का भय निकालने से हम अपने जीवन को अधिक उद्देश्यपूर्ण और शांतिपूर्ण बना सकते हैं।
4 ब्रह्मचर्य का पालन करो
भगवान शिव ब्रह्मचर्य और आत्म संयम के भी सर्वोच्च प्रतीक हैं। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि यदि इंसान अपनी ऊर्जा वीर्य शक्ति को सही दिशा में नियंत्रण कर ले तो वह परम शक्तिशाली बन सकता है।
भगवान शिव को आदि योगी कहा जाता है क्योंकि वे पूर्ण योगी है। ब्रह्मचर्य केवल शारीरिक संयम नहीं बल्कि विचारों और भावनाओं का भी शुद्धिकरण है।
जो इंसान ब्रह्मचर्य का पालन करता है उसकी इच्छा और वासनाओं उस पर हावी नहीं हो सकती
शिवजी गृहस्थ होते हुए भी ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं क्योंकि वे अपनी ऊर्जा का उपयोग केवल उच्चतम चेतना के लिए करते है।
भगवान शिव का जीवन हमें सिखाता है कि ब्रह्मचर्य सिर्फ एक नियम नहीं, बल्कि एक महान शक्ति है। जो व्यक्ति अपनी ऊर्जा को नियंत्रित कर लेता है, वही शिव तत्व को प्राप्त कर सकता है।
“ॐ नमः शिवाय”